बहु-विवाह


बहु-विवाह
 प्रश्न :- मुसलमानों को एक से अधिक पत्नी रखने की इजाजत क्यों है ? अर्थात इस्लाम एक से अधिक विवाह की अनुमति क्यों देता है ?
उत्तर :- बहु-विवाह की परिभाषा-इसका अर्थ है ऐसी व्यवस्था जिसके अनुसार व्यक्ति के एक से अधिक पत्नी या पति हों। बहु-विवाह दो प्रकार के होते हैं
1. एक पुरूष द्वारा एक से अधिक पत्नी रखना।
 2. एक स्त्री द्वारा एक से अधिक पति रखना ।। | इस्लाम में इस बात की इजाजत है कि एक पुरूष एक सीमा तक एक से अधिक पत्नी रख सकता है जबकि स्त्री के लिए इसकी इजाजत नहीं है कि वह एक से अधिक पति रखे।


अब इस प्रश्न पर विचार करते हैं कि इस्लाम में एक आदमी को एक से अधिक पत्नी रखने की इजाजत क्यों है? 
1. पवित्र कुरआन ही संसार की धार्मिक पुस्तकों में एकमात्र पुस्तक है जो कहती है केवल एक औरत से विवाह करो।'
| संसार में कुरआन ही ऐसी एकमात्र धार्मिक पुस्तक है जिसमें यह बात कही गई है। कि केवल एक (औरत) से विवाह करो। दूसरी कोई धार्मिक पुस्तक ऐसी नहीं जो । केवल एक औरत से विवाह का निर्देश देती हो। किसी भी धार्मिक पुस्तक में हम पत्नियों की संख्या पर कोई पाबन्दी नहीं पाते चाहे 'वेद', 'रामायण', 'गीता', हो या ‘तलमुद' व ‘बाइबल'। इन पुस्तकों के अनुसार एक व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार जितनी चाहे पत्नी रख सकता है। बाद में हिन्दुओं और ईसाई पादरियों ने पत्नियों की संख्या सीमित करके केवल एक कर दी।


हम देखते हैं कि बहुत से हिन्दू धार्मिक व्यक्तियों के पास, जैसा कि उनकी धार्मिक पुस्तकों में वर्णन है, अनेक पत्नियाँ थीं। राम के पिता राजा दशरथ के एक से अधिक पत्नियाँ थीं, इसी प्रकार कृष्ण जी के भी अनेक पत्नियाँ थीं।
प्राचीन काल में ईसाइयों को उनकी इच्छा के अनुसार पत्नियाँ रखने की इजाजत थी, क्योंकि बाइबल पत्नियों की संख्या पर कोई सीमा नहीं लगाती । मात्र कुछ सदी पहले गिरजा ने पत्नियों की सीमा कम करके एक कर दी।


| यहूदी धर्म में भी बहु-विवाह की इजाजत है। तलमूद कानून के अनुसार इब्राहीम की तीन पत्नियाँ थीं और सुलैमान की सैकड़ों पत्नियाँ थीं। इनमें बहु-विवाह का रिवाज चलता रहा और उस समय बंद हुआ जब रब्बी गम बिन यहुदा (960 ई.-1030 ई.) ने इसके खिलाफ हुक्म जारी किया। मुसलमान देशों में रहने वाले यहूदियों के पुर्तगाल समुदाय में यह रिवाज 1950 ई. तक प्रचलित रहा और अन्ततः इसराईल के चीफ रब्बी ने एक से अधिक पत्नी रखने पर पाबंदी लगा दी।


2. मुसलमानों की अपेक्षा हिन्दू अधिक पत्नियाँ रखते हैं।
सन 1975 ई. में प्रकाशित 'इस्लाम में औरत का स्थान कमेटी की रिपोर्ट में पृष्ठ संख्या 66, 67 में बताया गया है कि 1951 ई. और 1961 ई. के मध्य हिन्दुओं में बहुविवाह 5.06 प्रतिशत था जबकि मुसलमानों में केवल 4.31 प्रतिशत था। भारतीय कानून में केवल मुसलमानों को ही एक से अधिक पत्नी रखने की अनुमति है और गैर-मुस्लिमों के लिए एक से अधिक पत्नी रखना भारत में गैर कानूनी है। इसके बावजूद हिन्दुओं के पास मुसलमानों की तुलना में अधिक पत्नियां होती हैं। भूतकाल में हिन्दुओं पर भी इसकी कोई पाबंदी नहीं थी। कई पत्नियां रखने की उन्हें अनुमति थी। ऐसा सन 1954 ई. में हुआ जब हिन्दू विवाह कानून लागू किया गया जिसके अंतर्गत हिन्दुओं को बहुविवाह की अनुमति नहीं रही और इसको गैर-कानूनी करार दिया गया। यह भारतीय कानून है जो हिन्दुओं पर एक से अधिक पत्नी रखने पर पाबंदी लगाता है, न कि हिन्दू धार्मिक ग्रंथ।


अब आइए इस पर चर्चा करते हैं कि इस्लाम एक पुरूष को बहु-विवाह की अनुमति क्यों देता है ? 
3. पवित्र कुरआन सीमित बहु-विवाह की अनुमति देता है।
जैसा कि पहले बयान किया जा चुका है कि पवित्र कुरआन ही एकमात्र धार्मिक पुस्तक है जो निर्देश देती है कि केवल एक (औरत) से विवाह करो' कुरआन में है

अपनी पसंद की औरत से विवाह करो दो, तीन अथवा चार, परन्तु यदि तुम्हें हो कि तुम उनके मध्य समान न्याय नहीं कर सकते तो तुम केवल एक (औरत) से विवाह करो''
(कुरआन, 4:3) 
कुरआन के अवतरित होने से पूर्व बहु-विवाह की कोई सीमा नही थी। बहुत से लोग बड़ी संख्या में पत्नियाँ रखते थे और कुछ के पास तो सैकड़ों पत्न्यिाँ होती थीं। इस्लाम ने अधिक से अधिक चार पत्नियों की सीमा निर्धारित कर दी। इस्लाम किसी व्यक्ति को दो, तीन अथवा चार औरतों से इस शर्त पर विवाह करने की इजाजत देता है, जब वह उनमें बराबर का इंसाफ करने में समर्थ हो।कुरआन के इसी अध्याय अर्थात सूरा निसा आयत 129 में कहा गया है :
“तुम स्त्रियों (पत्नियों) के मध्य न्याय करने में कदापि समर्थ न होगे।''
(कुरआन, 4:129)
कुरआन से मालूम हुआ कि बहु-विवाह कोई आदेश नहीं बल्कि एक अपवाद है। बहुत से लोगों को भ्रम है कि एक मुसलमान पुरूष के लिए एक से अधिक पत्नियाँ रखना अनिवार्य है।
आमतौर से इस्लाम ने किसी काम को करने अथवा नहीं करने की दृष्टि से पाँच भागों में बाँटा है
(i) फ़र्ज' अर्थात अनिवार्य। 
(ii) 'मुस्तहब' अर्थात पसन्दीदा।। 
(iii) 'मुबाह' अर्थात जिसकी अनुमति हो। 
(iv) 'मकरूह' अर्थात घृणित, नापसन्दीदा।
(v) 'हराम' अर्थात निषेध।

बहु-विवाह मुबाह के अन्तर्गत आता है जिसकी इजाज़त और अनुमति है, आदेश नहीं है। अर्थात यह नहीं कहा जा सकता कि एक मुसलमान जिसकी दो, तीन अथवा चार पत्नियाँ हों, वह उस मुसलमान से अच्छा है जिसकी केवल एक पत्नी हो। 

4. औरतों की औसत आयु पुरूषों से अधिक होती है।
 प्राकृतिक रूप से औरत एवं पुरूष लगभग एक ही अनुपात में जन्म लेते हैं। बच्चों की अपेक्षा बच्चियों में रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है। शिशुओं के इलाज के दौरान लड़कों की मृत्यु ज्यादा होती है। युद्ध के दौरान स्त्रियों की अपेक्षा पुरूष अधिक मरते हैं। दुर्घटनाओं एवं रोगों में भी यही तथ्य प्रकट होता है। स्त्रियों की औसत आयु पुरूषों से। अधिक होती है इसीलिए हम देखते हैं कि विश्व में विधवाओं की संख्या विधुरों से अधिक है।


5. भारत में पुरूषों की आबादी औरतों से अधिक है जिसका कारण है मादा गर्भपात और भ्रूण हत्या
भारत उन देशों में से एक है जहाँ औरतों की आबदी पुरूषों से कम है। इसका असल कारण यह है कि भारत में कन्या भ्रूण हत्या की अधिकता है और भारत में प्रतिवर्ष दस लाख मादा गर्भपात कराए जाते हैं। यदि इस घृणित कार्य को रोक दिया जाए तो । भारत में भी स्त्रियों की संख्या पुरूषों से अधिक होगी।


6. पूरे विश्व में स्त्रियों की संख्या पुरूषों से अधिक है। 
अमेरिका में स्त्रियों की संख्या पुरूषों से अठत्तर लाख ज्यादा है। केवल न्यूयार्क में ही उनकी संख्या पुरूषों से दस लाख बढ़ी हुई है और जहाँ पुरूषों की एक तिहाई संख्या सोडोमीज (पुरूषमैथुन) है ओर पूरे अमेरिका राज्य में उनकी कुल संख्या दो करोड़ पचास लाख है। इससे प्रकट होता है कि ये लोग औरतों से विवाह के इच्छुक नहीं हैं। ग्रेट ब्रिटेन में स्त्रियों की आबादी पुरूषों से चालीस लाख ज्यादा है। जर्मनी में पचास लाख और रूस में नब्बे लाख से आगे है। केवल खुदा ही जानता है कि पूरे विश्व में स्त्रियों की संख्या पुरूषों से कितनी अधिक है।


7. प्रत्येक व्यक्ति को केवल एक पत्नी रखने की सीमा व्यावहारिक नहीं है। यदि हर व्यक्ति एक औरत से विवाह करता है तब भी अमेरिकी राज्य में तीन करोड़ औरतें अविवाहित रह जाएंगी (यह मानते हुए कि इस देश में सोडोमीज की संख्या ढाई करोड़ है)। इसी प्रकार ग्रेट ब्रिटेन में चालीस लाख से अधिक औरतें अविवाहित रह जाएंगी। औरतों की यह संख्या पचास लाख जर्मनी में और नब्बे लाख रूस में होगी, जो पति पाने से वंचित रहेंगी। यदि मान लिया जाए कि अमेरिका की उन अविवाहितों में से एक हमारी बहन हो या आपकी बहन हो तो इस स्थिति में सामान्यतः उसके सामने केवल दो विकल्प होंगे। एक तो यह कि वह किसी ऐसे पुरूष से विवाह कर ले जिसकी पहले से पत्नी मौजूद है। अगर वह ऐसा नहीं करती है तो इसकी पूरी आशंका होगी कि वह ग़लत रास्ते पर चली जाए। सभी शरीफ़ लोग पहले विकल्प को प्राथमिकता देना पसंद करेंगे।
पश्चिमी समाज में यह रिवाज आम है कि एक व्यक्ति पत्नी तो एक रखता है और साथसाथ उसके बहुत-सी औरतों से यौन संबंध होते हैं। जिसके कारण औरत एक असुरक्षित और अपमानित जीवन व्यतीत करती है। वही समाज किसी व्यक्ति को एक से अधिक पत्नी के साथ स्वीकार नहीं कर सकता, जिससे औरत समाज में सम्मान और आदर के साथ एक सुरक्षित जीवन व्यतीत कर सके।और भी अनेक कारण हैं जिनके चलते इस्लाम सीमित बहु-विवाह की अनुमति देता है परन्तु मूल कारण यह है कि इस्लाम एक औरत का सम्मान और उसकी इज्ज़त बाकी रखना चाहता है।



एक से अधिक पति रखना
प्रश्न:- यदि एक पुरूष को एक से अधिक पत्नी रखने की इजाजत है तो इसका क्या कारण है कि इस्लाम औरत को एक से अधिक पति रखने की अनुमति नहीं देता?
उत्तर :- कुछ लोग, जिनमें मुसलमान भी शामिल हैं, इस बात पर सवाल उठाते हैं, कि इस्लाम मर्द को तो कई पत्नी रखने की छूट देता है जबकि यह अधिकार औरत को नहीं देता है। । सबसे पहले मैं यह बात पूरे यक़ीन के साथ बता देना चाहता हूँ कि इस्लामी समाज न्याय और समानता पर आधारित है। अल्लाह ने स्त्री एवं पुरूष को समानरूप से बनाया है, परंतु भिन्न-भिन्न क्षमताएँ और जिम्मेदारियाँ रखी हैं। स्त्री एवं पुरूष मानसिक एवं शारीरिक रूप से भिन्न हैं,उनकी भूमिका और जिम्मेदारियां अलग-अलग हैं। स्त्री और पुरूष दोनों इस्लाम में समान हैं परंतु एक जैसे (Indentical) नहीं।
कुरआन की सूरा निसा अध्याय 4, आयत 22 से 24 में उन स्त्रियों की सूची दी गई है। जिनसे आप विवाह नहीं कर सकते हैं। और सूरा निसा अध्याय 4 आयत 24 में वर्णन है कि पहले से विवाहित स्त्रियों से विवाह करना वर्जित है। निम्नलिखित बातें इस कारण को स्पष्ट करती हैं कि औरतों के लिए एक से अधिक पति रखना क्यों वर्जित है ?

1. यदि एक व्यक्ति के पास एक से अधिक पत्नियाँ हों तो ऐसे विवाह से जन्मे बच्चे। के माता-पिता का आसानी से पता लगाया जा सकता है। परंतु यदि एक औरत के पास एक से अधिक पति हों तो केवल बच्चे की माँ का पता चलेगा न कि बाप का। इस्लाम माँ-बाप की पहचान को बहुत अधिक महत्व देता है। मनोचिकित्सक कहते हैं ऐसे बच्चे मानसिक आघात और पागलपन के शिकार हो जाते हैं जो अपने माँ-बाप विशेषकर अपने बाप को नहीं जानते। अकसर उनका बचपन खुशी से ख़ाली होता है। इसी कारण वैश्याओं के बच्चों का बचपन स्वस्थ नहीं होता। यदि ऐसे विवाह से जन्मे बच्चे को किसी स्कूल में प्रवेश दिलाया जाए और उसकी माँ से उस बच्चे के बाप का नाम पूछा जाए तो माँ को दो या उससे अधिक नाम बताने पड़ेंगे।


2. पुरुषों में प्राकृतिक तौर पर बहु-विवाह की क्षमता औरतों से अधिक होती है।
3. जीव विज्ञान के अनुसार एक से अधिक पत्नी रखने वाले पुरुष के लिए एक पति के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना आसान होता है जबकि उसी स्थान पर अनेक पति रखने वाली स्त्री के लिए एक पत्नी के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना संभव नहीं। विशेषकर मासिक धर्म के समय जबकि एक स्त्री तीव्र मानसिक एवं व्यावहारिक परिवर्तन से गुजरती है।
4. एक से अधिक पति वाली औरत के एक ही समय में कई यौन साझी होंगे। जिसके कारण उसके यौन संबंधी रोगों में ग्रस्त होने की अधिक आशंका होगी और यह रोग उसके पति को भी लग सकता है चाहे उसके वे सभी पति उस स्त्री के अलावा अन्य किसी स्त्री के साथ वैवाहिक यौन संबंध से मुक्त हों। यह स्थिति कई पत्नियाँ रखने वाले पुरूष के साथ घटित नहीं होती।
उक्त कारण ऐसे हैं जिनको आसानी से समझा जा सकता है। इनके अलावा अन्य बहुत से कारण हो सकते हैं तभी तो असीमित तत्वदर्शी खुदा ने स्त्रियों के लिए एक से अधिक पति रखने को वर्जित कर दिया।

Comments